About Shri Mathuta Singh Kushwaha Inter College
लखनऊ के निकट आदमपुर बनेठी रियासत के रियासतदार परिवार में जन्में स्मृमिशेष मथुरा सिंह कुशवाहा तीसरे नम्बर के पुत्र स्मृतिशेष शिवराम सिंह ने पाँच भाइयों के सहयोग से जुलाई 1995 में अपने पिता स्मृमिशेष मथुरा सिंह कुशवाहा के नाम से एक माध्यमिक विद्यालय की नीव ग्राम व पोस्ट-मुहीउद्दीनपुर, परगना-मौरावाँ, तहसील-पुरवा, जिला-उन्नाव में रखी थी। मथुरा सिंह कुशवाहा इण्टर कालेज, मुहीउद्दीनपुर, मौरावाँ, उन्नाव में सभी भाइयों का समुचित सहयोग तो था ही लेकिन स्मृमिशेष राम नरायण सिंह ने अपने सम्पूर्ण जीवन की कमाई से विद्यालय को इण्टर मीडिएट तक की मान्यता दिला कर संस्था को सुदृढ़ बनाया। साथ ही स्मृतिशेष लल्ला सिंह ने अपने हिस्से की कृषि योग्य जमीन देकर संस्था को स्थायित्व प्रदान किया। निवास स्थान से संस्था की दूरी ज्यादा होने के कारण संस्था की देख-रेख के लिए स्मृमिशेष मथुरा सिंह कुशवाहा के सबसे छोटे बेटे स्मृमिशेष श्याम सुन्दर सिंह कुशवाहा ने स्थापन दिवस से ही विद्यालय की देखरेख में अपना जीवन समर्पित कर दिया। संस्था स्थपना के बाद स्मृमिशेष राम नरायण सिंह पर भी कई बार जानलेवा हमले किए गये क्योकि स्थानीय शिक्षण संस्थायें नहीं चाहती थीं कि उनके नजदीक नया संस्था पनपे। सात भाइयों में तीन भाई शिक्षक थे चे शिक्षा का महत्व समझते थे और कहते थे कि शिक्षा वह शेरनी कर दूध है जो भी पीता है वह दहाड़ता है। स्मृमिशेष मथुरा सिंह कुशवाहा का परिवार चाहता था कि हमारे क्षेत्र के बच्चे उच्च शिक्षित होकर अपने साथ ही अपने क्षेत्र का भी नाम रोशन करें। धन के अभाव में कोई भी शिक्षार्थी उच्च शिक्षा से वंचित न रह सके।
स्मृमिशेष राम नरायण सिंह की संन्देहास्पद मृत्यु के बाद संस्थापक स्मृतिशेष शिवराम सिंह के बढ़े बेटे डा0 राजेन्द्र सिंह कुशवाहा को संस्था का प्रबन्धक बनाया गया तभी क्षेत्र के अराजक तत्वों ने संस्था में कार्यरत शिक्षकों व सत्ता में बैठे कुछ विपक्षियों से साँठ-गाँठ कर संस्था के मूल अभिलेखों की चोरी कर रजिस्ट्रार आफिस में संस्था की पूरी प्रबन्धसमिति को ही बदल दिया था, लेकिन बहुत मसक्कत के बाद तत्कालीन प्रबन्धक डा0 राजेन्द्र सिंह कुशवाहा व सम्माननीय तत्कालीन रजिस्ट्रार महोदय की सूझबूझ से संस्था की बागडोर पुनः मूल प्रबन्धकारिणी समिति को मिल गयी थी लेकिन तब से संस्था को नेस्तनाबूद करने में क्षेत्रीय अराजक तत्व लगे ही रहते हैं। कहीं संस्था के विद्युत उपकरणों की चोरी, चाहारदीवारी से ईट की चोरी, संस्था में नव निर्मित कक्षों से सरिया की चोरी व संस्था संचालन के समय जबरन प्रवेश कर छात्राओं से अभद्र टिप्पणियाँ करना, शोरसराबा करना व शिक्षको से दादागीरी करते थे।
अराजक तत्वों से वर्तमान प्रबन्धक डा0 राजेन्द्र सिंह कुशवाहा पर जानलेवा हमला भी किया गया, बदर्दास्त के बाहर होने पर स्थानीय पुलिस को सूचित किया गया पुलिस के हस्तक्षेप से सब कुछ सामान्य हुआ। लेकिन डा0 राजेन्द्र सिंह कुशवाहा के जानमाल का खतरा स्थानीय बअराजक तत्वों से सदैव बना ही रहता है। इन सब कठिनादयों के बावजूद मथुरा सिंह कुशवाहा इण्टर कालेज, मुहीउद्दीनपुर, मौरावाँ, उन्नाव निर्बाध गति से गरीब, असहाय व कमेरा समाज के बच्चों को समुचित तरीके से विद्यार्जन करा रहा है।
संस्था में उच्च व तकनीकि शिक्षा पर विचार विमर्श चल रहा है यथा शीघ्र व्यवस्था के लिए प्रबन्ध समिति प्रयासरत है। क्योंकि उच्च व तकनीकि शिक्षा हेतु क्षेत्रीय छात्राओं को कम से कम दस किलोमीटर जाना-आना पड़ता है।